भारतीय प्रतिरक्षा क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण प्रक्षेपास्त्र व
उपकरण
1. अर्जुन मार्क-1
भारतीय सेना के लिए उपयुक्त रूप में अभिकल्पित
तथा विकसित किया गया पहला स्वदेश-निर्मित मुख्य युद्धक
टैंक अर्जुन मार्क-1 भारतीय परिवेश तथा भू-स्थलीय अत्यधिक
प्रतिकूल दशाओं में कार्य करने के लिए विकसित
किया गया है। इसे इसकी अत्यधिक उत्कृष्ट गति को ध्यान में
रखते हुए डेजर्ट फेरारी कहा जाता है। अर्जुन मार्क-1 से लैस
दो रेजिमेंट पहले से ही भारतीय सेना का गौरव बढ़ा रहे हैं।
ध्यातव्य है कि अर्जुन युद्धक टैंक को भारतीय
प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
द्वारा विकसित किया गया है। वर्ष 2004 में अर्जुन मार्क-1 ने
भारतीय सेना को अपनी सेवाएँ देना प्रारंभ किया था।
अर्जुन मार्क-1 भारतीय सेना की अपेक्षाओं पर
खरा नहीं उतर सका है।
2. अर्जुन मार्क-2
अर्जुन मार्क-1 में 70 से भी अधिक संशोधन करके भारतीय मुख्य
युद्धक टैंक अर्जुन के मार्क-II संस्करण को डीआरडीओ
द्वारा मात्र 3 वर्षों की रिकार्ड अवधि में विकसित
किया गया है। अर्जुन मार्क-II के प्रचालनीय
परीक्षणों का अंतिम चरण जारी है। अर्जुन मार्क-II
की फायर क्षमता पहले से अधिक है तथा इसमें स्वचलित लक्ष्य
अनुवर्तन एवं व्यापक प्रकार की युद्ध क्षमता उपलब्ध है। इन
क्षमताओं में शामिल हैंः
बंदूक से दागी जाने वाली टैंक रोधी मिसाइल।
विनाशकारी थर्मो-बैरिक ऐमुनिशन।
विस्फोटक अभिक्रियाशील कवच पदार्थ।
लेजर चेतावनी एवं प्रति-युक्ति प्रणाली।
दुश्मन के वायुयान को नष्ट करने वाला एक सुदूर प्रचालनीय
आयुध।
टैंक के ऊपरी भाग पर आरोपित ड्राइविंग सीट।
उन्नत भू नौ संचालन प्रणाली।
संवर्धित नाटइ विछान क्षमता जैसी सुविधाएँ।
हाल के समय में इजरायल से मिलने वाले कुछ उपकरणों की दुर्बल
कार्य क्षमता के चलते अर्जुन मार्क-II को पूर्ण रूप से विकसित
कर पाने में विलंब हो रहा है।
3. हेलिना प्रक्षेपास्त्र
हेलिना नाग प्रक्षेपास्त्र का हवा से जमीन (air-to-land)
संस्करण है। डीआरडीओ द्वारा एकीकृत निर्देशित
प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के तहत् विकसित 5
प्रक्षेपास्त्र प्रणलियों में से एक नाग के हवा से जमीन संस्करण
के रूप में हेलिना महत्त्वपूर्ण प्रक्षेपास्त्र के रूप में विकसित हुई
है। दूसरे शब्दों में हेलिना तीसरी पीढ़ी की वायु प्रक्षेपित
टैंक-रोधी मिसाइल है जिसे सीधे तथा शीर्ष प्रहार मोड में
फायर किया जा सकता है और जिसमें आधुनिकतम बख्तरबंद
दस्तों को भी पराजित करने की क्षमता है।
हेलिना मिसाइल को ट्यूब लांचरों की सहायता से
हेलीकाप्टरों में संस्थापित किया गया है।
4. दक्ष
दक्ष एक इलेक्ट्रॉनिक ढंग से शक्ति संवर्धित
रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) है जिसका विकास
भारतीय प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
द्वारा किया गया है। प्रमुख रूप से दक्ष को इम्प्रोवाइज्ड
इक्सप्लोजिव डिवाइसेज से निपटने का कार्य
सौंपा गया था। दक्ष सभी प्रकार के जोखिम भरे
तत्त्वों को सुरक्षित ढंग से लोकेट कर सकता है, निपट
सकता है और उसे नष्ट भी कर सकता है। यह सेना, पुलिस और
अर्द्धसैनिक बलों के बम डिसपोजल यूनिट्स को अपनी सेवाएँ
प्रदान करेगा तथा सभी जोखिमभरी सामग्रियों व
विस्फोटक उपकरणों से निपटने में अपनी सेवाएँ देगा। इसे दूर से
ही संचालित किया जा सकता है। यह 500 मीटर की दूरी से
नियंत्रित व संचालित किया जा सकता है। इसमें कई कैमरे लगे
होते हैं। यह न्यूक्लियर बॉयोलाजिकल केमिकल आवीक्षण
प्रणाली (Reconnaissance) से युक्त है।
5. रेवती
3-डी निरीक्षण रडार सिस्टम रेवती एक मध्यम दूरी का 3-
डी निरीक्षण रडार है जिसे एएसडब्ल्यू लड़ाकू जलपोत वर्ग के
जहाजों में वायु और समुद्र सतह लक्ष्यों का पता लगाने के
लिए उपयोग में लाया जाता है। यह रडार 3 आयामीय-
केन्द्रीय अधिग्रहण रडार (3डी-सीएआर) प्रौद्योगिकी पर
आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य नौसेना आवश्यकताओं
को पूरा करने के लिए तैयार उत्पादित 3 आयामीय राडार
का निर्माण करना है। इस प्रणाली को त्रि-पक्षीय समझौते
द्वारा तैयार किया गया है जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स
लिमिटेड ने उत्पादन एजेंसी के रूप में, लार्सन और टर्बो ने
एंटीना स्टैबलाइजेशन और अन्य यांत्रिकी उप-प्रणालियों के
लिए और डीआरडीओ ने एक डिजाइनर और सिस्टम समाकलक
के रूप में अपना-अपना योगदान दिया।
6. संयुक्ता
यह डीआरडीओ और भारतीय सेना का एक संयुक्त कार्यक्रम
है। यह कार्यक्रम सॉफ्टवेयर और एकीकरण पर जोर देने वाला है
और यह 1.5 मेगाहट्ज - 40 गीगाहर्ट्ज को कवर करने वाली एक
एकीकृत इलेक्ट्रानिक वारफेयर प्रणाली के मूल विकास से
संबंधित है। इस प्रणाली में ऐसे वाहन शामिल हैं
जो सभी संचारों व रडार संकेतों के चौकसी (Surveillance),
इंटरसेप्शन, निगरानी, विश्लेषण व जैमिंग की क्षमता से युक्त
है।
7. हम्सा (Humsa)
स्टेट ऑफ आर्ट शिप-बोर्न सोनार ‘हम्सा’
को नौसेना भौतिकी और समुद्र विज्ञान
प्रयोगशाला (NPOL), कोच्चि द्वारा डिजाइन एवं
विकसित किया गया है। इसे भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड,
बंगलुरु द्वारा उत्पादित किया गया है। यह
नौसेना जहाजों के लिए मानकों पर खरा उतरता है। भारत
इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड द्वारा ऐसी 12
प्रणालियाँ उत्पादित की गयी हैं।
8. संग्रह (Sangraha)
सभी 5 प्रकार की इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम
का विकास ‘संग्रह’ नामक परियोजना के तहत् पूरा कर
लिया गया है। ‘संग्रह’ नौसेना के लिए एक
स्वदेशी इलेक्ट्रानिक वारफेयर कार्यक्रम है।
9. सुजव (Sujav)
यह एक ठोस संचार इलेक्ट्रानिक वारफेयर श्रेणी (Compact
Communication EW Suit) है। इस प्रणाली के पास 30 से 1000
मेगाहर्ट्ज की परिधि तक दिशा पाने, खोज व
निगरानी की सक्षमताएँ हैं। इस प्रणाली को भारतीय
सेना द्वारा जम्मू व काश्मीर में लगाया गया था। भारतीय
नौसेना ने ऑफ शोर व ऑन शोर प्रयोगों के लिए ऐसे 8
प्रणालियों (जिन्हें दृष्टि के नाम से जाना जाता है) के
उत्पादन के आदेश दिये हैं।
10. नेत्र (Netra)
भारतीय प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
(डीआरडीओ) ने हाल ही में आतंकवाद निरोधक व काउन्टर
इंन्सरजेंसी आपरेशनों के विशेष मकसद के साथ ‘नेत्र’ नामक
अनमैन्ड एरियाल व्हीकल (मानवरहित वाहऩ) का विकास
किया है। इसका वनज 1.5 किग्रा. है। 26/11 की मुंबई
घटना जैसी स्थितियों, नगरों में आतंकी गतिविधि के
क्षेत्रों में यह कार्य कर सकेगा। इसकी अनुमानित लागत 20
लाख रुपये है।
11. निशांत
निशांत डीआरडीओ द्वारा विकसित एक बहुउद्देशीय मिशन
वाला अनमैन्ड एरियल व्हीकल है जिसे दिन व रात दोनों समय
आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है। यह
युद्धभूमि निगरानी (Battle field Surveillance) और
आर्टिलेरी फायर करेक्शन की क्षमता से युक्त है। इसका वजन
375 किग्रा. मैक्स है और लंबाई 4.63 मीटर है।
12. प्रहार
प्रहार डीआरडीओ द्वारा विकसित जमीन से जमीन पर मार
करने वाली मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 150 किमी. है।
इसे पृथ्वी मिसाइल को प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से
विकसित किया गया है। प्रहार 200 किग्रा. तक परंपरागत
आयुधों को ढ़ोने में सक्षम है। यह उच्च मारक युक्ति (ligh
manoeuvrability) व विशुद्धता की क्षमता से परिपूर्ण है।
इसकी तुलना अमेरिका के आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम
(ATACMS) से की जाती है। यह एक चरण वाला मिसाइल है।
ठोस ईंधन द्वारा इसका प्रणोदन किया जाता है। यह 7.3
मीटर लंबा है। इसका वजन 1.3 टन है।
13. हंसा-3 और सारस एयरक्राफ्ट
हंसा-3 एयरक्राफ्ट का विकास बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोस्पेस
लैबोरेटरीज द्वारा किया गया है। यह फाइबर-रेनफोर्स्ड
प्लास्टिक (FRD) से बना है और प्रकाश क्षति (Lighting
damage) के प्रति अत्यधिक सुभेद्य है। नेशनल एयरोस्पेस
लैबोरेटरीज द्वारा ही सारस एयरक्राफ्ट का विकास
किया गया है।
14. ध्रुव-3
ध्रुव-3 डीआरडीओ द्वारा निर्मित नवीनतम स्वदेशी उच्च
निष्पादन क्षमता वाला कंप्यूटिंग सिस्टम है
जिसका विकास गंभीर प्रतिरक्षा मिशनों व अनुसंधान एवं
विकास कार्यों के अनुप्रयोगों के लिए किया गया है।
इसका उद्घाटन भारत के रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक
सलाहकार अविनाश चंदर द्वारा किया गया है। एडवांस्ड
मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट के डिजाइन अथवा प्रारूप
निर्मित करने में इसकी भूमिका अहम होगी।
उपकरण
1. अर्जुन मार्क-1
भारतीय सेना के लिए उपयुक्त रूप में अभिकल्पित
तथा विकसित किया गया पहला स्वदेश-निर्मित मुख्य युद्धक
टैंक अर्जुन मार्क-1 भारतीय परिवेश तथा भू-स्थलीय अत्यधिक
प्रतिकूल दशाओं में कार्य करने के लिए विकसित
किया गया है। इसे इसकी अत्यधिक उत्कृष्ट गति को ध्यान में
रखते हुए डेजर्ट फेरारी कहा जाता है। अर्जुन मार्क-1 से लैस
दो रेजिमेंट पहले से ही भारतीय सेना का गौरव बढ़ा रहे हैं।
ध्यातव्य है कि अर्जुन युद्धक टैंक को भारतीय
प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)
द्वारा विकसित किया गया है। वर्ष 2004 में अर्जुन मार्क-1 ने
भारतीय सेना को अपनी सेवाएँ देना प्रारंभ किया था।
अर्जुन मार्क-1 भारतीय सेना की अपेक्षाओं पर
खरा नहीं उतर सका है।
2. अर्जुन मार्क-2
अर्जुन मार्क-1 में 70 से भी अधिक संशोधन करके भारतीय मुख्य
युद्धक टैंक अर्जुन के मार्क-II संस्करण को डीआरडीओ
द्वारा मात्र 3 वर्षों की रिकार्ड अवधि में विकसित
किया गया है। अर्जुन मार्क-II के प्रचालनीय
परीक्षणों का अंतिम चरण जारी है। अर्जुन मार्क-II
की फायर क्षमता पहले से अधिक है तथा इसमें स्वचलित लक्ष्य
अनुवर्तन एवं व्यापक प्रकार की युद्ध क्षमता उपलब्ध है। इन
क्षमताओं में शामिल हैंः
बंदूक से दागी जाने वाली टैंक रोधी मिसाइल।
विनाशकारी थर्मो-बैरिक ऐमुनिशन।
विस्फोटक अभिक्रियाशील कवच पदार्थ।
लेजर चेतावनी एवं प्रति-युक्ति प्रणाली।
दुश्मन के वायुयान को नष्ट करने वाला एक सुदूर प्रचालनीय
आयुध।
टैंक के ऊपरी भाग पर आरोपित ड्राइविंग सीट।
उन्नत भू नौ संचालन प्रणाली।
संवर्धित नाटइ विछान क्षमता जैसी सुविधाएँ।
हाल के समय में इजरायल से मिलने वाले कुछ उपकरणों की दुर्बल
कार्य क्षमता के चलते अर्जुन मार्क-II को पूर्ण रूप से विकसित
कर पाने में विलंब हो रहा है।
3. हेलिना प्रक्षेपास्त्र
हेलिना नाग प्रक्षेपास्त्र का हवा से जमीन (air-to-land)
संस्करण है। डीआरडीओ द्वारा एकीकृत निर्देशित
प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम के तहत् विकसित 5
प्रक्षेपास्त्र प्रणलियों में से एक नाग के हवा से जमीन संस्करण
के रूप में हेलिना महत्त्वपूर्ण प्रक्षेपास्त्र के रूप में विकसित हुई
है। दूसरे शब्दों में हेलिना तीसरी पीढ़ी की वायु प्रक्षेपित
टैंक-रोधी मिसाइल है जिसे सीधे तथा शीर्ष प्रहार मोड में
फायर किया जा सकता है और जिसमें आधुनिकतम बख्तरबंद
दस्तों को भी पराजित करने की क्षमता है।
हेलिना मिसाइल को ट्यूब लांचरों की सहायता से
हेलीकाप्टरों में संस्थापित किया गया है।
4. दक्ष
दक्ष एक इलेक्ट्रॉनिक ढंग से शक्ति संवर्धित
रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) है जिसका विकास
भारतीय प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
द्वारा किया गया है। प्रमुख रूप से दक्ष को इम्प्रोवाइज्ड
इक्सप्लोजिव डिवाइसेज से निपटने का कार्य
सौंपा गया था। दक्ष सभी प्रकार के जोखिम भरे
तत्त्वों को सुरक्षित ढंग से लोकेट कर सकता है, निपट
सकता है और उसे नष्ट भी कर सकता है। यह सेना, पुलिस और
अर्द्धसैनिक बलों के बम डिसपोजल यूनिट्स को अपनी सेवाएँ
प्रदान करेगा तथा सभी जोखिमभरी सामग्रियों व
विस्फोटक उपकरणों से निपटने में अपनी सेवाएँ देगा। इसे दूर से
ही संचालित किया जा सकता है। यह 500 मीटर की दूरी से
नियंत्रित व संचालित किया जा सकता है। इसमें कई कैमरे लगे
होते हैं। यह न्यूक्लियर बॉयोलाजिकल केमिकल आवीक्षण
प्रणाली (Reconnaissance) से युक्त है।
5. रेवती
3-डी निरीक्षण रडार सिस्टम रेवती एक मध्यम दूरी का 3-
डी निरीक्षण रडार है जिसे एएसडब्ल्यू लड़ाकू जलपोत वर्ग के
जहाजों में वायु और समुद्र सतह लक्ष्यों का पता लगाने के
लिए उपयोग में लाया जाता है। यह रडार 3 आयामीय-
केन्द्रीय अधिग्रहण रडार (3डी-सीएआर) प्रौद्योगिकी पर
आधारित है। इसका मुख्य उद्देश्य नौसेना आवश्यकताओं
को पूरा करने के लिए तैयार उत्पादित 3 आयामीय राडार
का निर्माण करना है। इस प्रणाली को त्रि-पक्षीय समझौते
द्वारा तैयार किया गया है जिसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स
लिमिटेड ने उत्पादन एजेंसी के रूप में, लार्सन और टर्बो ने
एंटीना स्टैबलाइजेशन और अन्य यांत्रिकी उप-प्रणालियों के
लिए और डीआरडीओ ने एक डिजाइनर और सिस्टम समाकलक
के रूप में अपना-अपना योगदान दिया।
6. संयुक्ता
यह डीआरडीओ और भारतीय सेना का एक संयुक्त कार्यक्रम
है। यह कार्यक्रम सॉफ्टवेयर और एकीकरण पर जोर देने वाला है
और यह 1.5 मेगाहट्ज - 40 गीगाहर्ट्ज को कवर करने वाली एक
एकीकृत इलेक्ट्रानिक वारफेयर प्रणाली के मूल विकास से
संबंधित है। इस प्रणाली में ऐसे वाहन शामिल हैं
जो सभी संचारों व रडार संकेतों के चौकसी (Surveillance),
इंटरसेप्शन, निगरानी, विश्लेषण व जैमिंग की क्षमता से युक्त
है।
7. हम्सा (Humsa)
स्टेट ऑफ आर्ट शिप-बोर्न सोनार ‘हम्सा’
को नौसेना भौतिकी और समुद्र विज्ञान
प्रयोगशाला (NPOL), कोच्चि द्वारा डिजाइन एवं
विकसित किया गया है। इसे भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड,
बंगलुरु द्वारा उत्पादित किया गया है। यह
नौसेना जहाजों के लिए मानकों पर खरा उतरता है। भारत
इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड द्वारा ऐसी 12
प्रणालियाँ उत्पादित की गयी हैं।
8. संग्रह (Sangraha)
सभी 5 प्रकार की इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम
का विकास ‘संग्रह’ नामक परियोजना के तहत् पूरा कर
लिया गया है। ‘संग्रह’ नौसेना के लिए एक
स्वदेशी इलेक्ट्रानिक वारफेयर कार्यक्रम है।
9. सुजव (Sujav)
यह एक ठोस संचार इलेक्ट्रानिक वारफेयर श्रेणी (Compact
Communication EW Suit) है। इस प्रणाली के पास 30 से 1000
मेगाहर्ट्ज की परिधि तक दिशा पाने, खोज व
निगरानी की सक्षमताएँ हैं। इस प्रणाली को भारतीय
सेना द्वारा जम्मू व काश्मीर में लगाया गया था। भारतीय
नौसेना ने ऑफ शोर व ऑन शोर प्रयोगों के लिए ऐसे 8
प्रणालियों (जिन्हें दृष्टि के नाम से जाना जाता है) के
उत्पादन के आदेश दिये हैं।
10. नेत्र (Netra)
भारतीय प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन
(डीआरडीओ) ने हाल ही में आतंकवाद निरोधक व काउन्टर
इंन्सरजेंसी आपरेशनों के विशेष मकसद के साथ ‘नेत्र’ नामक
अनमैन्ड एरियाल व्हीकल (मानवरहित वाहऩ) का विकास
किया है। इसका वनज 1.5 किग्रा. है। 26/11 की मुंबई
घटना जैसी स्थितियों, नगरों में आतंकी गतिविधि के
क्षेत्रों में यह कार्य कर सकेगा। इसकी अनुमानित लागत 20
लाख रुपये है।
11. निशांत
निशांत डीआरडीओ द्वारा विकसित एक बहुउद्देशीय मिशन
वाला अनमैन्ड एरियल व्हीकल है जिसे दिन व रात दोनों समय
आसानी से प्रयोग में लाया जा सकता है। यह
युद्धभूमि निगरानी (Battle field Surveillance) और
आर्टिलेरी फायर करेक्शन की क्षमता से युक्त है। इसका वजन
375 किग्रा. मैक्स है और लंबाई 4.63 मीटर है।
12. प्रहार
प्रहार डीआरडीओ द्वारा विकसित जमीन से जमीन पर मार
करने वाली मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता 150 किमी. है।
इसे पृथ्वी मिसाइल को प्रतिस्थापित करने के उद्देश्य से
विकसित किया गया है। प्रहार 200 किग्रा. तक परंपरागत
आयुधों को ढ़ोने में सक्षम है। यह उच्च मारक युक्ति (ligh
manoeuvrability) व विशुद्धता की क्षमता से परिपूर्ण है।
इसकी तुलना अमेरिका के आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम
(ATACMS) से की जाती है। यह एक चरण वाला मिसाइल है।
ठोस ईंधन द्वारा इसका प्रणोदन किया जाता है। यह 7.3
मीटर लंबा है। इसका वजन 1.3 टन है।
13. हंसा-3 और सारस एयरक्राफ्ट
हंसा-3 एयरक्राफ्ट का विकास बेंगलुरु स्थित नेशनल एयरोस्पेस
लैबोरेटरीज द्वारा किया गया है। यह फाइबर-रेनफोर्स्ड
प्लास्टिक (FRD) से बना है और प्रकाश क्षति (Lighting
damage) के प्रति अत्यधिक सुभेद्य है। नेशनल एयरोस्पेस
लैबोरेटरीज द्वारा ही सारस एयरक्राफ्ट का विकास
किया गया है।
14. ध्रुव-3
ध्रुव-3 डीआरडीओ द्वारा निर्मित नवीनतम स्वदेशी उच्च
निष्पादन क्षमता वाला कंप्यूटिंग सिस्टम है
जिसका विकास गंभीर प्रतिरक्षा मिशनों व अनुसंधान एवं
विकास कार्यों के अनुप्रयोगों के लिए किया गया है।
इसका उद्घाटन भारत के रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक
सलाहकार अविनाश चंदर द्वारा किया गया है। एडवांस्ड
मीडियम काम्बैट एयरक्राफ्ट के डिजाइन अथवा प्रारूप
निर्मित करने में इसकी भूमिका अहम होगी।
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"Welcome to my blog, where I, Sandeep Giri, share my passion for the Tech World. Join me on an exciting journey as we explore the latest trends, innovations, and advancements in the world of technology."